करैरा ,फाइन आर्ट्स के कलाकार रौनक राय ‌के चित्रों की प्रदर्शनी लगेगी इटली और जर्मनी में ।


करैरा,शहर के कलाकार रौनक राय के चित्रों के प्रदर्शनी इटली और जर्मनी में लगेगी। इनका जन्म सन 1987 में करेरा में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय प्राप्त कर, कला शिक्षा (चित्रकला में एम.एफ.ए.) ग्वालियर कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट से 2011 में पूर्ण की। भारत भवन भोपाल में गुरु युसूफ सर से चित्रकला की बारीकियां को सीखने के पश्चात देश में घूम-घूम कर 9 एकल प्रदर्शनियां और 30 से ज्यादा सामूहिक प्रदर्शनियां लगाईं। इनको मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2015 में स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया गया। लेकिन फिर भी संघर्ष करते हुए, स्वतंत्र कलाकार के रूप में कार्य कर पाने में यह सक्षम नहीं हो सके और जीवन यापन हेतु इन्होंने कला शिक्षक के रूप में कार्य करना बेहतर समझा। लेकिन फिर भी खुद को एक कलाकार के रूप में स्थापित करने हेतु प्रयास करते रहे।
 
आज से लगभग 10 साल पहले इटली के आर्ट क्यूरेटर पैट्रियो फ्रांनिसी ने इनसे कुछ चित्र मांगे और इन्होंने अपने बहुत सारे चित्र इटली कोरियर कर दिए थे। इस घटना के बाद बहुत सालों तक कुछ नहीं हुआ। 2024 में फ्रांनेसी ने फिर से इनसे कुछ चित्र मांगे और इस बार भी इन्होंने बहुत सारे चित्र इटली कोरियर कर दिए। परंतु इस बार फ्रांनेसी इसके चित्रों की प्रदर्शनी इटली और जर्मनी में लगाने जा रहे हैं।
पैट्रियो फ्रांनिसी एक अंतरराष्ट्रीय आर्ट क्यूरेटर हैं जो कि कई देशों के चयनित कलाकारों की प्रदर्शनियां आयोजित कर चुके हैं और दुबई एवं न्यूयॉर्क आर्ट बिनाले (द्विवार्षिक कला महोत्सव) के निर्देशक भी रहे हैं। इटली में रौनक के चित्रों की एकल प्रदर्शनी की पुष्टि एग्जीबर्ट वेबसाइट के द्वारा हो चुकी है। एग्जीबर्ट इटली की एक आर्ट न्यूज वेबसाइट है, जिसपर दर्शाया गया है कि यह प्रदर्शनी इटली में 19 अप्रैल से शुरू होगी।
इटली और जर्मनी में रौनक के तंत्र कला सीरीज के कुल 30 चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे जो कि कैनवास पर एक्रेलिक और तेल माध्यम से बनाए गए हैं। 
यह सारे ही चित्र *भैरवी तंत्र* पर आधारित है जिसमें संकेतों के द्वारा शिव शक्ति समागम को दिखाया गया है। यह चित्र पूर्ण रूप से सममात्रिक नहीं हैं और पूर्ण रूप से अमूर्त भी नहीं हैं लेकिन देखने में बेहद आकर्षक जरूर हैं क्योंकि इनमें आध्यात्मिक दिव्यता के दर्शन प्रचुरता से होते हैं।
रौनक का मनना है कि कला कर्म एक गहरी साधना (खासकर तंत्र कला) है जिसके द्वारा ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है बशर्ते इस साधना में संपूर्ण समर्पण अनिवार्य है। संपूर्ण समर्पण न कर पाने के कारण ही रौनक को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और विदेश में 2-3 हो जाने के बाद भी कला क्षेत्र में खुद को स्थापित कर पाना अभी इनके लिए बहुत ही दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है लेकिन रौनक लंबा संघर्ष करने हेतु खुद को तैयार कर चुके हैं। और यह अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियां इनके उत्साह को एकाएक काफी बढ़ाने का कार्य कर सकती हैं।
इनके चित्र एस. एच. रज़ा, जी. आर. संतोष, के. सी. एस. पणिक्कर, पी. टी. रेड्डी जैसे महान समकालीन भारतीय कलाकारों के चित्रों की याद दिलाते हैं और भारतीय तांत्रिक कला आंदोलन को आगे बढ़ने का कार्य भी करते हैं।
करैरा शहरवासी आशा करते हैं कि रौनक इसी प्रकार से निरंतर प्रयास करते हुए एक बेहतर मुकाम हासिल कर सभी को गौरवान्वित करें।
पत्रकार राजेन्द्र गुप्ता मो नं 8435495303