करैरा को जिला बनाने की मांग ने पकड़ा जोर,बैठक में हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय।

शिवपुरी जिले की सबसे बड़ी तहसील करैरा को जिला बनाने की मांग को लेकर रविवार को जिला बनाओ संघर्ष समिति और अधिवक्ताओं ने विश्राम गृह करैरा पर वृहद बैठक का आयोजन किया। 
बैठक में कई महत्वपूर्ण विन्दुओं पर चर्चा कर करैरा को जिला घोषित करने की मांग उठाई।
जिला बनाने की मांग के विन्दु 
बैठक  के दौरान वक्ताओं ने कहा कि करैरा तहसील उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा से सटा हुआ है और कई प्रकार के आसामाजिक तत्वों से प्रभावित इलाका है। इस क्षेत्र में निवास करने वाले कई गांव तो जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर है, जिसके चलते यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक सेवाओं के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।वक्ताओं ने यह भी बताया कि राजस्व योगदान में देखा जाए तो करैरा से प्रदेश सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होता है।
 जिला बनाने के लिए करैरा सभी आवश्यक मानकों को पूरा करता है। इसके बावजूद सरकार इस क्षेत्र की अनदेखी कर रही है।

नेताओं पर वादाखिलाफी का आरोप

बैठक में लोगो ने नेताओं पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों के दौरान तो करैरा और प्रदेश के नेता करैरा को जिला बनाने की बात करते हैं और बाद में भूल जाते हैं। इस बैठक में अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह सिकरवार,लवकुश चतुर्वेदी, राजीव भार्गव 'गरुड़' ,कांग्रेस नेता पुरुषोत्तम रावत, प्रजाशक्ति पार्टी से आनन्द मुदगल, महेन्द्र सिंह बघेल,वीनस गोयल, अधिवक्ता प्रशान्त त्रिपाठी,अश्विनी मुदगल,धर्मेन्द्र यादव,मानसिंह फौजी ,धनीराम यादव समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता ,पत्रकार और समिति के सदस्य मौजूद थे।
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि करैरा को जिला बनाने के लिए आंदोलन को और तीव्र गति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि करैरा को जिला बनाना न सिर्फ इस क्षेत्र के लोगों का हक है, बल्कि क्षेत्र के विकास के लिए भी जरूरी है।
पत्रकार राजेन्द्र गुप्ता 
मोनं,8435495303