करैरा,छह महीने से भटक रहा ईमानदार शिक्षक, रिश्वतखोरी ने रोका रिटायरमेंट का भुगतान।



करैरा । शिक्षा के मंदिर में 40 वर्षों तक ईमानदारी का दीप जलाने वाले शिक्षक ज्ञान सिंह मेहते आज छह महीने से अपनी अर्जित अवकाश राशि के लिए भटकने को मजबूर हैं। 21 मई 2024 को हाई स्कूल टीला से सेवानिवृत्त हुए मेहते का आरोप है कि कन्या हायर सेकेंडरी संकुल के बाबू महाराज सिंह धनोल्या ने उनकी राशि जारी करने के लिए 20,000 रुपये रिश्वत की मांग की है। स्वाभिमानी और ईमानदार मेहते ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया, जिसके चलते उनकी राशि अटकाई जा रही है।

40 साल की सेवा, लेकिन रिटायरमेंट पर भ्रष्टाचार का सामना

ज्ञान सिंह मेहते न केवल एक कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक रहे, बल्कि अपने छात्रों और समाज के लिए ईमानदारी की मिसाल भी बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल हजारों छात्रों को शिक्षित किया, बल्कि अपने बेटे वीरेंद्र राजपूत को भी रेंजर के पद तक पहुंचाया। मेहते ने अपने बेटे को यह शिक्षा दी कि जिंदगी में कभी रिश्वत न लेना है और न देना है।

मेहते का कहना है, "मैंने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित की और हमेशा ईमानदारी को अपने जीवन का मूलमंत्र माना। लेकिन रिटायरमेंट के बाद विभाग से मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी।"

रिश्वत न देने पर छह महीने से रोका भुगतान

मेहते ने बताया कि बाबू महाराज सिंह धनोल्या ने चपरासी हल्के रामपाल के माध्यम से रिश्वत की मांग की। रिश्वत देने से इनकार करने पर उनकी अर्जित अवकाश की राशि छह महीने से रोकी हुई है। इस दौरान उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल
रिटायरमेंट के समय संकुल प्रभारी अरविंद त्रिपाठी थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं। वर्तमान प्रभारी कविता लोधी हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की निष्क्रियता ने मेहते जैसे ईमानदार शिक्षक को न्याय के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर कर दिया है।

ईमानदारी के लिए संघर्ष की मिसाल
अपने सिद्धांतों पर अडिग मेहते का कहना है कि "मैंने रिश्वत कभी न लेने और न देने का संकल्प लिया है। अगर मुझे अपनी राशि के लिए रिश्वत देनी पड़ी, तो यह मेरी ईमानदारी की हार होगी। मैं मरते दम तक अपने अधिकारों के लिए लड़ूंगा।"
ज्ञान सिंह मेहते ने सरकार और विभाग से अपील

ज्ञान सिंह मेहते ने शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सरकार से अपील की है कि उनकी राशि जल्द से जल्द जारी की जाए और भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
छह महीने की पीड़ा से लगा जिस विभाग में काम किया उसके खिलाफ लड़ना पड़ा

मेहते का यह संघर्ष उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सत्य और ईमानदारी को अपनी ताकत मानते हैं। "यह केवल मेरी लड़ाई नहीं है; यह उस व्यवस्था के खिलाफ एक आवाज है जो ईमानदार लोगों को मजबूर करने की कोशिश करती है," उन्होंने कहा।

शिक्षक ज्ञान सिंह मेहते की यह कहानी भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी की लड़ाई का प्रतीक बन गई है। यह सवाल उठाती है कि कब तक ईमानदार लोगों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
इनका क्या कहना है
ज्ञान सिंह मेहते जी कल ही मेरे पास आये हुए थे बाबू और उनके बीच क्या मैटर है मुझे नही पता , 2 या 3 में उनका काम करवा दूंगी , उनके रिटायर मेंट के समय संकुल प्रभारी अरविंद त्रिपाठी थे वह भी रिटायर हो चुके है ।

कविता लोधी संकुल प्रभारी एवं प्राचार्य शासकीय कन्या विद्यालय करैरा                             पत्रकार राजेन्द्र गुप्ता 
मोनं,8435495303