दतिया,रामभरोसे थे उत्कृष्ट कवि ,मंगलसिंह रामभरोसे चतुर्वेदी ,की 11 वीं पुण्यतिथि पर हुई कविगोष्ठी ।

दतिया  बुंदेली भाषा के अच्छे जानकार , कुछ किताबों के रचयिता पं. रामभरोसे चतुर्वेदी बेहतरीन साहित्यकार थे , उनकी कुछ पुस्तकें हम सभी को देखने को मिलती हैं ,  रामभरोसे थे उत्कृष्ट कवि -"  उक्त विचार न्यू दतिया पब्लिक  स्कूल , दतिया के परिसर में, रामभरोसे चतुर्वेदी श्रृंग की 11 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कवि गोष्ठी में  मुख्य अतिथि की आसंदी से , भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त मैनेजर ,भाजपा नेता मंगल सिंह परमार  ने व्यक्त किये। संगोष्ठी की अध्यक्षता  प्रसिद्ध शिक्षाविद  प्राचार्य  राजेंद्र सिंह खेंगर ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध बुन्देली रचनाकार सुन्दर लाल श्रीवास्तव ‌एवं पूर्व पुलिस अधिकारी अशोक सिंह वेश्य उपस्थित थे । कविगोष्ठी का सफल संचालन डॉ.आलोक सोनी   ने किया । सर्वप्रथम सभी अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना आराधना करके रामभरोसे चतुर्वेदी श्रृंग के चित्र पर माल्यार्पण कर के गोष्ठी की शुरुआत की । गोष्ठी आयोजक राजेंद्र चतुर्वेदी ने सभी का अंग वस्त्र उड़ाकर ,माला पहनाकर स्वागत किया,तत्पश्चात स्वागत भाषण दिया । सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके  श्रीमती वीणा खुश्बू ने रचनापाठ करतें हुए कहा - मौत का खौफ दिल से निकल जायेगा । मुस्कुराकर जरा जिन्दगी से मिलो , बहुत सराही गई ।  कवि राजेंद्र शुक्ला मधुर ने बुजुर्गों के सम्मान में रचना पढ़ते हुए कहा - गुजरे पुरखों को मधुर नमन हों बारंबार । जुड़ें रहें उनसे सदा ,दिल से दिल के तार । बहुत तालियां बजवाई । कविगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य  पंडित कमलकांत शर्मा ने कहा - " वहां पर सबका हिसाब है ,जो जैसा करता ,फल पाता ,सीधा जवाब है  ।" बहुत बेहतरीन रचना रही । इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अशोक वेश्य ने सभी को शुभकामनाएं दी । विशिष्ट अतिथि सुन्दर लाल श्रीवास्तव ने बुन्देली में कविता सुनाते हुए  कहा - अब तो बुरओ  ज़मानों आ गओ । नौनों जाने किते बसा गओं । कवि गोष्ठी अध्यक्ष राजेंद्र सिंह खेंगर ने कहा - मां पिता को याद रख ,आबाद होगी जिन्दगी । भूल से मत भूलना , बर्बाद होगी जिन्दगी । भरपूर तालियां बजवाई । आभार  पूर्व प्राचार्य कमलकांत शर्मा ने व्यक्त किया ।     पत्रकार राजेन्द्र गुप्ता मो नं8435495303