*विकास राजा दिनारा* *दिनारा कस्बे के ग्राम पुराने दिनारा मे चल रही भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया*
दिनारा,पाप का अंत करने हर युग में परमात्मा लेते हैं। अवतार पृथ्वी पर मरते हैं धर्म की स्थापना कथा वाचक पूवी व्यासभागवत कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यहां संगीतमय भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पूर्वी ब्यास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि जल,अग्नि, वायु, पृथ्वी,आकाश मन अहंकार और बुद्धि आदि आठ प्रकार की मेरी प्रकृति है, यह प्रकार मेरी जड़ प्रकृति है, जिससे संपूर्ण जगत धारण किया जाता है। यह मेरी प्रकृति चेतन है। महाराज ने कहा कि भाद्रपद की अष्टमी के दिन 16 कलाओं से युक्त भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु लोक में अवतार लिया था, भगवान श्री कृष्ण के रूप में श्री विष्णु का यह अवतार समय अनुकूल था। महाराज ने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने अवतार लेने के बारे में बताया है,भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। मैं साधुओं व भक्तों का उद्धार करने के लिए पापी लोगों का विनाश करता हूं। पूर्वी ब्यास ने कहा कि परमात्मा इस संसार में धर्म की स्थापना करने के लिए हर युग में अवतार लेते हैं। वहीं महोत्सव के दौरान कथावाचक पूर्वी ब्यास ने कृष्ण जन्म की कथा का वाचन किया। कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हुआ।आयोजन स्थल पर श्री कृष्ण जन्म उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। कथा पंडाल में बधाई गीतों की गूंज रही। वहीं भक्तों पर भी भक्ति का ऐसा रंग चढ़ा कि वह भाव विभोर होकर झूमने लगे। कथावाचक पूर्वी ब्यास ने वृंदावन धाम के श्री कृष्ण केअवतार का विस्तार पूर्वक बखान किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के अवतार की कथा पुराण ग्रंथों में प्रचुर मात्रा में मिलती है, पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय द्वापर युग में अत्याचार अनाचार और अपराधअपनी चरम सीमा को पार कर गया।*भगवान विष्णु की देवताओं ने की स्तुति*कथा में ब्यास ने कहा कि धरती माता ने जब सभी देवताओं को अपनी व्यथा सुनाई, तो सभी स्तब्ध रह गए, इस दौरान स्वयं ब्रह्मा जी ने सभी देवों को भगवान विष्णु की शरण में जाने को कहा, ब्रह्मा जी के नेतृत्व में धरती माता सहित सभी देवता जी सागर तट पर जा पहुंचे और भगवान विष्णु की स्तुति करना शुरू कर दी, उनकी स्तुित से भगवान विष्णु अति प्रसन्न हो गए, भगवान विष्णु ने अपनी मधुर और मोहन वाणी से सब को आशीर्वाद दिया और उनसे यूं आने का प्रयोजन पूछा। तब धरती माता ने अपनी व्यथा सुनाई। भगवान विष्णु पृथ्वी की पीड़ा जानकर अत्यंत दुखी हुए और तब भगवान ने सभी देवों को पृथ्वी पर अपने अवतार लेने और धर्म की स्थापना करने की बात कही। कथा के दौरान ब्यास ने सुंदर भजन भी सुनाए। जिसे सुनकर श्रोता आनंदित हो उठे। हजारों की संख्या में श्रदालु मौजूद थे।