प्रशासन की कार्रवाई को देखकर व्यापारी हुए लामबंद

स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई को देखकर  व्यापारी वर्ग हुआ लामबंद, 


 प्रशासन का अगला कदम क्या होगा.....?


जब प्रशासन कच्ची आदत को पकड़ने के लिए करा रहा था वीडियोग्राफी 


 रिपोर्ट /----- घनश्याम बाबा ब्यूरो चीफ डबरा


डबरा। कच्ची आडत कृषि उपज मण्डी में जग जाहिर है जिसे रोकने के लिए कई बार तत्कालीन आईएएस अधिकारियों ने प्रयास किए लेकिन कोई भी अधिकारी सफल नहीं हो पाया जिसको लेकर  जिला कलेक्टर अनुराग चौधरी के निर्देशन और एसडीएम राघवेन्द्र पाण्डे के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम बिचौलियों पर कार्यवाही करने के लिए दो दिन से सख्ती बरत रही थी जिस प्रशासन की सख्ती से मंगलवार को व्यापारी लामबंद हो गए और उन्होने किसानो की उपज खरीदने से इंकार कर दिया और प्रशासनिक कार्यवाही का बडे स्तर पर विरोध को देखते हुए नायब तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव और उनकी टीम के साथ व्यापारियों के द्वारा हॉक-टॉक हुई जिसके चलते नायब तहसीलदार और उनकी टीम को वापिस लौटना पडा अब देखना यह है कि इतनी स्थिति बेकाबू होने के बाद प्रशासन और कलेक्टर ग्वालियर कृषि उपज मण्डी में कार्यवाही के लिए कौन सा कदम उठाते है।


कच्ची आडत रोकना प्रशासन के लिए बडी चुनौती.........


 दरअसल, किसानो की उपज कृषि उपज मण्डी में व्यापारियों की आड में बगैर लायसेंस धारी बिचौलिए किसानो की उपज की खरीददारी व्यापारियों की सांठ-गांठ से कर रहे है जबकि व्यापारी दिनेश गोयल ने नायब तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव के सामने मण्डी सचिव के चैंबर में इस बात को स्वीकारा कि कृषि उपज मण्डी में बिचौलिए किसानो की उपज खरीद रहे है कच्ची आडत की आड में किसानो का शोषण खुले आम हो रहा है जिस आडत को रोकना प्रशासन के लिए बहुत बडी चुनौती भी है।


किसानो की उपज खरीदते समय व्यापारी क्यों नहीे कटाते रसीदें.......?


 इससे बडा दुर्भाग्य और क्या होगा.....? कि कच्ची पर्ची पर व्यापारी कहते है कि यह भाव की पर्ची है लेकिन सत्यता कुछ और है जबकि नियम है शासन के कि किसानो की उपज खरीदते समय व्यापारी को तत्काल 37/1 और 37/2 की रसीद तत्काल कटवाना चाहिए और उस पर हस्ताक्षर व्यापारी के होना चाहिए लेकिन कृषि उपज मण्डी के प्रशासनिक अधिकारियो और कर्मचारियों की मिली भगत से बिचौलिए चांदी काट रहे है। 


बुधवार को प्रशासन की कार्यवाही का कैसा होगा रूप........?


 बुधवार को हालात क्या बनेंगे यह तो कहना भविष्य के गर्त में है लेकिन एक बात जग जाहिर हो चुकी है कि कच्ची आडत और बिचौलियों को रोक पाना प्रशासन के लिए टेढी खीर भी है अब प्रशासन जहां वीडियोग्राफी नीलामी की करा रहा था और उनका गुस्सा भी प्रशासन के अधिकारियो ने झेला तो अब ऐसी स्थिति में बुधवार को किसानो के उपज की नीलामी के वक्त प्रशासन का कौन सा कदम होगा.....?