कुटीर के लिए महीनों से भटक रहा था एक विकलांग एसडीएम ने भी नहीं सुनी उसकी फरियाद अटैक से हुई उसकी मौत करेरा तहसीलदार मदद के लिए आगे आए जैसे ही तहसीलदार उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे जब तक उसकी मौत हो चुकी थी

*कुटीर के लिये महीनों से भटक रहा था विकलांग दलित SDM ने भी नही सुनी फरियाद अटैक से मौत*


*लाला परिहार आमोलपठा* 


*आमोलपठा/* करैरा क्षेत्र के प्रशासन व नेताओं की लागत है मानवीय संवेदनाएं पूरी तरह से मर चुकी है। जिसके चलते यहां असुनवाई का माहौल बना हुआ है। यहां के लोकप्रिय ओर विकास पुरुष नेतागण रेत के धंधों में लिप्त होकर प्रशासन के आगे नतमस्तक है। जिसके चलते इन प्रशासनिक अफसरों की कार्यशैली पर अंकुश लगाने की बजाय उनकी जी हजूरी करते नजर आते है। जिसके चलते आज एक गरीब, विकलांग की मौत हो गई। उसका कसूर यह था कि वह बेचारा दलित, गरीब, ओर विकलांग था उसके पास किसी की सिफारिश नही थी जिसके चलते वह कुटीर के लिये दर-दर भटक रहा था। उसकी सुनवाई न तो उसकी ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव ने सुनी न जनपद की सीईओ ने सुनी और न ही आज एसडीएम ने सुनी जिसकी वजह से महीनों भटकने के बाद उसको करैरा के सबसे बड़े अधिकारी से भी आस टूटती नजर आई और वह यह सदमा बर्दास्त नही कर सका और उसकी मौत हो गई, धन्य हो एसडीएम साहब एक आदमी आपके कार्यालय के बाहर मरणासन्न स्थिति में पड़ा रहा और इन्होंने उसको देखने तक कि जहमत नही उठाई इसको कहते है मानवीय संवेदना मृत पड़ना। लेकिन धन्यवाद तहसीलदार साहब आपने खुद उसको उठाया और स्वयं उसे अस्पताल ले गए। आपके इस सराहनीय कदम को मेरा सलाम है।
जानकारी के अनुसार आदर्श ग्राम सिरसौद निवासी दशरथ जाटव कुटीर के काम से जनसुनवाई में तहसील में एसडीएम कार्यालय गया था लेकिन जनसुनवाई में उसके हाथ नाकामयाबी लगने के बाद वह मयूश हो गया जिसके चलते उसे अचानक हार्ट-अटैक आ गया और वह जमीन पर जा गिरा मरणासन्न हालत में उसे करैरा सरकारी अस्पताल ले जाया गया यहां डॉक्टर ने बताया कि अटैक आने से उसकी मौत हो गई है आज फिर इन प्रशासनिक अधिकारियों के असंवेदनशील रवैये के चलते एक जान असमय काल के गाल में समा गई। इससे प्रतीत होता है कि यहां अंधेर नगरी ओर चौपट राजा की कहावत सटीक हो रही है।